लेखनी कविता -बच्चे - बालस्वरूप राही

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बच्चे / बालस्वरूप राही हम हैं नन्हें-मुन्ने बच्चे, सीधे-सादे, भोले, सच्चे। भेद-भाव का नाम नहीं हैं, झगड़ा करना काम नहीं है। बोलेगे जयहिंद ज़ोर से, गुंजेगा आकाश शोर से। कदम मिलाकर ...

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